2022 विधानसभा चुनाव के लिए अब सिर्फ कुछ दिन बचे हैं और उत्तराखंड में होने जा रहे इस विधानसभा चुनाव में कुल 1010 प्रत्याशियों ने नामांकन किया जिसमे से 865 प्रत्याशियों का नामांकन स्वीकार किया गया जबकि 42 नॉमिनेशन रिजेक्ट किए गए और 103 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। 865 प्रत्याशियों में से भाजपा के 70 कांग्रेस के 70 आम आदमी पार्टी के 70 प्रत्याशी शामिल हैं, और अब सभी प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में खूब तैयारियां कर रहे हैं।लेकिन जब हम देखते हैं तो उत्तराखंड के 70 विधानसभाओं में 865 प्रत्याशियों में से सिर्फ 70 प्रत्याशी ही जीत कर आएंगे। तो दूसरी तरफ 70 प्रत्याशी के करीब दूसरे स्थान में रहेंगे।
वहीं हर विधानसभा चुनाव में एक सवाल सबसे बड़ा खड़ा होता है वह होता है कि क्या बड़ी संख्या में प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाएंगे! आप में से कई सारे ऐसे लोग भी होंगे जिन्हें यह जानकारी नहीं होगी कि आखिर जमानत होती क्या है और जमानत जब्त होना क्या होता है, तो हम आपको बताते हैं कि आखिर जमानत होती क्या है विधानसभा चुनाव के दौरान और जमानत जब्त होना क्या होता है।
किन प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हो जाती है ?
ऐसे हारे हुए प्रत्याशी, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग से अधिक मत प्राप्त करने में असफल होता है, उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है। जैसे किसी विधानसभा सीट पर यदि 1 लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेनें होंगे. कहें तो लगभग प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाने के लिए पुलिस वालेहारे हुए अभ्यर्थी की, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग से अधिक मत प्राप्त करने में असफल होता है, जमानत राशि जब्त हो जाती है. जैसे किसी विधानसभा सीट पर यदि 1 लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेनें होंगे.