उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव बहुत ज्यादा दिलचस्प होने जा रहे हैं वहीं जब हम प्रदेश की कुछ महत्वपूर्ण सीटों की बात करते हैं जहां पर मुकाबला बहुत नजदीकी रहने वाला है, तो उनमें से एक सीट है चमोली जिले की कर्णप्रयाग सीट। चमोली जनपद की तीनों विधानसभा में इस बार कर्णप्रयाग सीट बेहद दिलचस्पी बनती जा रही है। कांग्रेस के 2017 में उम्मीदवार रहे अनसूया प्रसाद मैखुरी का निधन होने के बाद से ही कर्णप्रयाग विधानसभा में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा इसपर चर्चा तेज हो गई थी। और तभी से कई दावेदार कांग्रेस का टिकट पाने की चाह रखने लगे थे, और पार्टी को भी एक नए चेहरे की जरूरत थी। साथ ही अभी भी एक ऐसे ही चेहरे की जरूरत कांग्रेस को कर्णप्रयाग सीट में है जो कदावर नेता अनसूया प्रसाद मैखुरी की कमी को पूरा कर सके।
वहीं अब चर्चा है कि कांग्रेस स्वर्गीय मैखुरी की पत्नी सावित्री देवी को अपना प्रत्याशी बनाने जा रही है। यह सीट कांग्रेस के लिए इस लिहाजा से भी खास है कि यहां पर 30 साल से मात्र एक बार कांग्रेस जीती है, शेष समय यहां बीजेपी का कब्जा रहा है। 2012 में स्वर्गीय अनसूया प्रसाद मैखुरी ने इस सीट को जीता था। कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर स्वर्गीय मैखुरी का खास दबदबा रहा। गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी की स्थापना से लेकर सिमली में महिला बेस अस्पताल, कर्णप्रयाग में उपजिला चिकित्सालय का कायाकल्प, वर्ष 2013 की आपदा में बहे कर्णप्रयाग मुख्य बाजार के मोटर पुल का निर्माण सहित कई अन्य ऐतिहासिक कार्य स्वर्गीय मैखुरी के नाम दर्ज हैं। सरल स्वभाव और मृदुभाषी स्वर्गीय मैखुरी आज भी चमोली जनपद (खासकर कर्णप्रयाग) के दिल में बसते हैं। कोरोना काल में भी उन्होंने गांव-गांव-नगर-नगर जाकर आम जनता को सैनिटाइजर, मास्क वितरित किए थे। लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था, कोरोना से पीड़ित होकर वे खुद ही उस जहां में चले गए, जहां से आज तक कोई लौटकर नहीं आया। उनके निधन पर कांग्रेस ही नहीं अन्य राष्ट्रीय पार्टियों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी गहरा धक्का पहुंचा था। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस स्वर्गीय मैखुरी की धर्मपत्नी सावित्री देवी को टिकट देकर वोटरों से सहानुभूति प्राप्त करना चाहती है।