दुनियां में बहुत तेजी से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है, आज स्थिति यह है कि दुनिया के ठंडे देशों में गिने जाने वाला जर्मनी भी पिछले कुछ समय से गर्मी की तपिश झेल रहा है,और इसकी वजह है ग्लोबल वार्मिंग। उत्तराखंड में भी पिछले लंबे समय से ग्लोबल वार्मिंग अपना असर दिखा रही है, आमतौर पर जब हम उत्तराखंड की बात करते थे तो पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा 32 डिग्री तक टेंपरेचर जाता था, तो मैदानी क्षेत्रों में भी 35 से 37 डिग्री तक ही टेंपरेचर रहता था लेकिन आज स्थिति बदलती जा रही है और इस बार देहरादून में ही कई बार पारा 40 डिग्री के पार चला गया था। ग्लोबल वार्मिंग से बचने का एक सबसे आसान तरीका है कि दुनियां प्रदूषण कम करें और एक ऐसा ही प्रदूषण दुनिया भर में चलने वाली गाड़ियों से भी पैदा हो रहा है, और इसीलिए दुनियां तेजी से गाड़ियां ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है और इसका एक सबसे अच्छा उदाहरण है इलेक्ट्रिक वाहन। पिछले कुछ सालों में देहरादून में भी आरटीओ ने इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने की पूरी कोशिश की और स्थिति यह रही कि अभी देहरादून में ही कई इलेक्ट्रिक वाहन चल रहे हैं और बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक ई रिक्शा भी दून की सड़कों में दौड़ रहे हैं। लेकिन अब ई रिक्शा संचालकों के सामने देहरादून आरटीओ ने एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। देहरादून आरटीओ ने ई-रिक्शा संचालकों को साफ तौर पर कह दिया है कि आप अपने रिक्शे को रात के 8 बजे से लेकर सुबह के 8 बजे तक ही चलाएं।आरटीओ के इस आदेश के बाद अब पुलिस भी ई रिक्शा को सड़कों पर दिन में नहीं चलने दे रही है और इसी वजह से ई-रिक्शा संचालक बहुत परेशान भी नजर आ रहे हैं।
ई रिक्शा संचालकों का कहना है कि हम रात को 8 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक हम रिक्शा चलाने को कहा जा रहा है, जबकि देहरादून में जो भी यात्री ई रिक्शा में बैठते हैं वह सुबह से लेकर शाम तक ही बैठते हैं। दूसरी तरह आरटीओ ने साफ कह दिया है कि या तो आप गलियों के अंदर अपने रिक्शे को चलाएं या फिर रात में ही रिक्शा दौड़ाएं। ऐसे में अभी हमारे सैकड़ों रिक्शा चल रहे हैं और हम एक साथ बेरोजगारी की ओर बढ़ रहे हैं। जब हम आरटीओ में जाकर ई रिक्शा के लिए लाइसेंस ले रहे थे तो हमारे सामने ऐसी कोई भी शर्त नहीं रखी गई थी, लेकिन अब आरटीओ ने यह शर्त रख दी है इससे हमारे भूखे रहने के हालात होने लगे हैं- ई रिक्शा चालक