3 साल पहले केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी को लेकर एक प्रोजेक्ट शुरू किया इसमें देश के कई शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई, और इसी के तहत कई शहरों का चयन हुआ कि इन्हें स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा। ऐसे ही शहरों में उत्तराखंड का एक शहर देहरादून भी शामिल था 3 साल पहले देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कवायद शुरू की गई, इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से मोटा फंड भी दिया गया। इसके बाद हर किसी की उम्मीद जगी है कि आने वाले दिनों में देहरादून की सड़कें चौड़ी होंगी, यहां के बाजार स्मार्ट होंगे, वाईफाई का जाल बिछा होगा ट्रैफिक लाइट इतनी स्मार्ट होंगी की ट्रैफिक से निजात मिल मिल पाएगा इसके साथ ही अन्य कई सारी सुविधाएं भी मिलेंगी। उस समय जब रूपरेखा तैयार हुई तो बहुत कुछ बताया गया लेकिन अब 3 साल पूरे हो चुके हैं और स्मार्ट सिटी धूल फांक रही है। सड़कों में स्विमिंग पूल के जितने बड़े गड्ढे हैं तो स्मार्ट कुछ भी नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ पिछले 3 साल में करोड़ों रुपए इस प्रोजेक्ट के ऊपर खर्च किए जा चुके हैं और लगातार खर्चा बढ़ता ही जा रहा है। वहीं 3 सालों तक स्मार्ट सिटी को लेकर अधिकारी नेता सभी चुप्पी साधे हुए थे, और सभी इस बात को लेकर जनता को आश्वस्त कर रहे थे कि आने वाले दिनों में देहरादून एक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित हो जाएगा। लेकिन अब एक के बाद एक बड़े नाम स्मार्ट सिटी को लेकर अपनी शिकायतें दर्ज करने लगे हैं। कुछ समय पहले शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की खूब क्लास लगाई थी साथ ही उन्होंने कई सवाल भी पूछे थे और यह सिलसिला कई बार चला जब उन्होंने स्मार्ट सिटी को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज करवाई अधिकारियों को फटकार लगाई और सवाल किए कि कब करोगे स्मार्ट सिटी का काम पूरा। उसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी समय-समय पर अपनी नाराजगी व्यक्त की उन्होंने भी तीखे सवाल किया कि आखिर स्मार्ट सिटी का काम कब पूरा होगा। बावजूद इसके न स्मार्ट सिटी के काम मे रफ्तार देखने के लिए मिली अधिकारियों का ढुलमुल रवैया सही हो पाया। वही
आदरणीय महोदय,
उपरोक्त विषयक आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि स्मार्ट सिटी मिशन, देहरादून की जब शुरुआत हुई थी तब देहरादून की जनता नये स्मार्ट देहरादून शहर को लेकर उत्साह से भव्य एवं उज्जवल शहर की परिकल्पना की आश बांधे हुई थी लेकिन विगत 3 सालों से जो हो रहा है, वह ठीक इसके विपरीत है। गैर जिम्मेदार ठेकेदारों ने स्मार्ट सिटी देहरादून के उज्जवल भविष्य को न ही केवल अंधकार में धकेला बल्कि जन भावनाओं से खिलवाड़ करने में भी कोई कमी नहीं रखी।नगर का मेयर होने के नाते बड़े दुखी मन से आपको बताना चाहता हूँ कि स्मार्ट सिटी देहरादून जनता के लिए सरदर्द बन गया है। बात चाहे शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर खुदी हुई सड़कों की करें या खुदे पड़े गड्डे की हो, बेतरतीब काम करते हुए पाईप लाईनों के टूटने की करें या फिर अव्यवहारिक रूप से कार्य करते हुए सीवर लाइनों को क्षतिग्रस्त करने की, सभी जगह स्मार्ट सिटी देहरादून व ठेकेदार अव्यवहारिक कार्य करने के लिए प्रसिद्ध हुए हैं।माननीय मुख्यमंत्री जी आपने कड़ा रुख अपनाते हुए स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत कार्य करने वाली एक कम्पनी को ब्लैक लिस्ट किया था जिससे जन प्रतिनिधियों एवं आम जनता में बहुत बड़ा सकारात्मक सन्देश गया है परन्तु खेद के साथ अवगत कराना चाहता हूँ कि आप द्वारा की गयी दण्डात्मक कार्यवाही भी उनके लिए नजीर नहीं बन पा रही है क्योंकि इनके द्वारा किये गये अव्यवहारिक कार्यो का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पल्टन बाजार परेड ग्राउण्ड, राजपुर रोड़ के नालों का कार्य जो स्मार्ट सिटी द्वारा विगत वर्ष नवम्बर में प्रारम्भ किया गया था वह भी जस का तस पड़ा हुआ है। कार्य में किसी भी प्रकार की कोई प्रगति नहीं हुई है और ऐसे ही न. जाने कितने कार्य खामियों से भरे पड़े हैं जिनके चलते आम जनता का रोष भी लगातार जनप्रतिनिधियों के प्रति बढ़ रहा है।मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अब तक हुए समस्त कार्यों की वित्तीय जांच करायीजाय जिससे इसमें हुए भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके। इसके साथ ही इस पत्र के माध्यम से मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी देहरादून व गैर जिम्मेदार ठेकेदारों के विरूद्ध कठोर रूख अपनाते हुए ऐसे फैसले लिये जायें जो स्मार्ट सिटी देहरादून व ठेकेदारों के लिए भविष्य में एक नजीर बने।
धन्यवाद सहित।
भवदीय(सुनील उनियाल गामा)
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