
उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हिंदुत्व का मुद्दा भी खुलकर सामने आ गया है l वैसे जब उत्तराखंड की बात करते हैं यहां पर हिंदू जनसंख्या अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ज्यादा है. और इसे सभी राजनीतिक पार्टियां अच्छे से समझती भी हैं. और यही वजह है की कांग्रेस भी उत्तराखंड में हिंदुत्व की बात करती है. वहीं अब उत्तराखंड की राजनीति में जनेऊ भी आ गया है. और जनेऊधारी हिंदू भी. और इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हिंदुत्व को लेकर एक दूसरे के सामने दिखाई दे रहे हैं। पुष्कर सिंह धामी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मैं जनेऊ पहनता हूं और मैं उन लोगों के लिए कह रहा हूं जो जनेऊ नहीं पहनते थे। लेकिन अब वह जनेऊ पहनने के लिए मजबूर हो गए हैं, जब से मोदी जी ने धर्म की बात की है जब से उन्होंने आस्था और देश के अंदर मंदिरों की बात की है तबसे वो भी जनेऊ दिखाने लगे हैं। तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनको जवाब देते हुए कहा कि हम आस्था के प्रश्न को सार्वजनिक नहीं कहते हैं। आप अपने मंदिर को चौराहे पर नहीं रखते हो गायत्री मंत्र हर वक्त नहीं पढ़ते हो।भाजपा ने हिंदू धर्म का खुद को कर्ताधर्ता मान लिया है। सिद्ध करने के लिए वह जो चाहे वह दिखा दे।
वैसे उत्तराखंड में हिंदू राजनीति कितनी हावी है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है की खुद को सेकुलर पार्टी बताने वाली आम आदमी पार्टी अब अपनी किस्मत उत्तराखंड में आजमा रही है, और जब उनके पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड आए तो उन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड को धार्मिक राजधानी बनाने की बात कही.