उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति किसी से छिपी नही है, हालत यह हैं कि पहाड़ो में पहले डॉक्टर नही थे और अब जब पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की कमी पूरी हो गई है तो उसके बावजूद भी लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों से इलाज के लिए मैदानी अस्पतालों में ही आना पड़ता है.
वहीं फिलहाल उत्तराखंड में तीन मेडिकल कॉलेज हैं और तीनों कॉलेजों से हर साल 400 नए डॉक्टर मिल रहे हैं.
लेकिन हम इसकी बात कभी और करेंगे, फिलहाल आपको दून मेडिकल कॉलेज के बारे में बताते हैं.
दून मेडिकल कॉलेज वैसे को पिछले कई सालों से विवादों में रहा है वजह अलग अलग हैं. बावजूद इसके डॉक्टर और प्रोफेसर की अच्छी टीम भी मेडिकल कॉलेज के पास उपलब्ध है. लेकिन दून मेडिकल कॉलेज की नई ओपीडी बिल्डिंग पर शायद किसी का ध्यान नही जाता है. वैसे तो इस बिल्डिंग को यूपी निर्माण निगम ने बनाया और अब हर दिनों हजारों की संख्या में मरीज भी अपना इलाज कराने के लिए यहां पहुंचते हैं पर जब बिल्डिंग पर नजर डालते हैं तो दिखता है की बिल्डिंग का एक पूरा हिस्सा पूरा नही हुआ है बावजूद इसके डॉक्टर बैठ रहे है और मरीज भी देख रहे हैं. जबकि बिल्डिंग किसी खतरे से कम नही है. आमतौर पर मरीज पांच मंजिल की इस बिल्डिंग में खिड़कियों में बैठे दिखते हैं और खिड़की ऐसी की जिसमें अभी तक कांच भी नही लगे हुए हैं.
मामला यहीं खत्म नही होता दून मेडिकल कॉलेज शायद भारत का पहला मेडिकल कॉलेज होगा जहां पर पांच मंजिल ओपीडी की बिल्डिंग मौजूद है साथ ही डॉक्टर भी पहली मंजिल से ही बैठना शुरू करते हैं लेकिन अभी तक मरीजों के लिए ओपीडी में लिफ्ट ही नही लगी है. हर दिन यह नजारा वहां पर आम है जब गंभीर मरीज भी सीढ़ी चढ़ते दिख जाता है, और जब मामला सीएमएस से मिलने का हो तो हालत और गंभीर हो जाते हैं क्योंकि सीएमएस पांचवी मंजिल पर बैठते है. डॉक्टर और अन्य स्टाफ के लिए लिफ्ट जरुर है जिसका इस्तेमाल वो मरीज कर लेते हैं जिन्हें यह पता है की लिस्ट स्टाफ के लिए है. लेकिन उस लिफ्ट में चार से ज्यादा 5 लोग ही एक साथ इस्तेमाल कर सकते हैं.
दून मेडिकल कॉलेज की कहानी यहीं पर खत्म नही होती किस्से और भी बहुत सारे है..