पिछले दो सालों से जब से कोरोना ने दस्तक दी है तबसे स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गई है, हालत यह है कि स्वास्थ्य विभाग को अब सिर्फ इस पर ध्यान नही देना की मरीज उनके पास आए और स्वस्थ होकर घर जाए, बल्कि अब इसपे भी ध्यान देना है कि जो मरीज आ रहा है वो किसी और को संक्रमित ना कर दे. वहीं स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड ने कोरोना की वजह से प्रदेश स्थानांतरण यानी की ट्रांसफर सत्र को शून्य कर रखा है और इस दौरान मार्च 2022 तक कोई भी ट्रांसफर नही हो सकते है. लेकिन, बावजूद इसके अभी भी ट्रांसफर हो रहे हैं, और मंगलवार को 58 डॉक्टरों की ट्रांसफर लिस्ट फिर सामने आ गई. जिसमें बड़ी संख्या में डॉक्टरों को पहाड़ से मैदान और मैदान से पहाड़ की तरफ भेजा गया है.इसमें ऐसे कई डॉक्टर भी शामिल है जो पिछले लंबे समय से एक ही अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे थे. तो कई ऐसे भी शामिल है जो की पहाड़ में तैनात थे. लेकिन सवाल यह खड़ा होता है की जब स्वास्थ्य विभाग का शून्य सत्र काल चल रहा है तो ट्रांसफर हो कैसे गए.
ट्रांसफर सत्र को शून्य होने की वजह से प्रदेश में कहीं पर भी ट्रांसफर नहीं हो सकता हैं, वहीं इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अन्य संवर्ग में भी कोई ट्रांसफर मेडिकल के आधार पर भी नहीं हो सकता. फिर चाहे किसी को भी कोई गंभीर बीमारी ही क्यों ना हो.