उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे सामने आ चुके हैं और अब यह तय हो चुका है कि एक बार फिर से भाजपा उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा को पिछले के मुकाबले कुछ सीटें कम मिली है बावजूद इसके 48 सीट लाकर वह बहुमत से बहुत ज्यादा आगे है दूसरी तरफ कांग्रेस को कुछ सीटों का फायदा हुआ है लेकिन इसके बावजूद वह अभी भी बहुमत से आधी सीटों में फंसे हुए हैं।
वहीं अब जिसपर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह यह है कि मुख्यमंत्री आखिरकार होगा कौन. होंगे क्योंकि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हार गए हैं और इसके साथ ही भाजपा हाईकमान ने भी साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री तो विधायकों में से कोई एक व्यक्ति होगा, तो आखिर कौन हो सकता है मुख्यमंत्री।
सबसे आगे जिस व्यक्ति का नाम चल रहा है वह है धन सिंह रावत मौजूदा कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के पास कई सारी जिम्मेदारियां थी जिसमें स्वास्थ्य जैसा मजबूत मंत्रालय भी उन्हीं के पास था. वहीं धन सिंह रावत मुख्यमंत्री की दौड़ में हर बार शामिल रहे हैं फिर 2017 की बात करें जब प्रदेश में एक प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा जीत कर आई थी तो जो नाम सबसे आगे चल रहे थे उनमें धन सिंह रावत भी थे इसके बाद जब जब प्रदेश में मुख्यमंत्री बदले और भाजपा ने किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया तो उस समय भी धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा था धन सिंह रावत को संघ का बहुत करीबी माना जाता है और प्रदेश में यह देखा भी गया है कि धन सिंह रावत समय-समय पर पार्टी के लिए अच्छा काम करते आए हैं और लाइमलाइट से दूर रहकर वह पार्टी के लिए काम करना ज्यादा सही समझते हैं इसीलिए तो इस बार भी मुख्यमंत्री का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
इसके बाद जिस चेहरे पर सबसे ज्यादा चर्चा होने की पूरी संभावना है वह है सतपाल महाराज सतपाल महाराज को भी संघ का बहुत करीबी माना जाता है और जिस तरह से धन सिंह रावत का नाम हर वक्त मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे रहा तो उनके साथ ही सतपाल महाराज का भी नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में रहता है. सतपाल महाराज एक मजबूत और कद्दावर नेता माने जाते हैं इसके साथ ही जब हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य ने भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में जाने का फैसला लिया तो सतपाल महाराज अडिग रहे कि वह बीजेपी के साथ ही रहेंगे और उन्होंने चुनाव लड़ा और बहुत ही अच्छे मार्जिन से जीतकर भी अब फिर से एक बार विधानसभा में पहुंच चुके हैं।
अगर विधायकों में से कोई मुख्यमंत्री बनता है तो इन 2 नामों पर जरूर चर्चा होगी लेकिन जिस तरह से भाजपा पिछले कुछ समय में यह दिखाती रही है कि उनके लिए व्यक्ति विशेष कोई मायने नहीं रखता और पार्टी सर्वोपरि है तो उससे यह अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि हो सकता है कोई व्यक्ति बाहर से भी विधायक ना होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनाया जाए। और यदि यह होता है कि भाजपा विधायकों में से ना चुनकर बाहर से किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाती है तो इसमें तीन नाम प्रमुख होंगे।
सबसे आगे जो नाम है वह है पूर्व मुख्यमंत्री पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का डॉ रमेश पोखरियाल निशंक इस समय मुख्यमंत्री के दौर में शामिल हैं समय-समय पर उन्हें दिल्ली भी बुलाया गया इसके साथ ही उन्हें राज्य को चलाने का अनुभव भी है और इस वक्त पार्टी को एक अनुभव वाले नेता की जरूरत भी है साथ ही उन्हें केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का अनुभव भी मिल गया है और इन्हीं वजह से उन्हें भी एक प्रबल दावेदार मुख्यमंत्री का माना जा रहा है।
इसके बाद जिस नाम पर चर्चा हो सकती है वह है मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पुष्कर सिंह धामी हार गए हैं बावजूद इसके जीत का श्रेय अगर किसी एक व्यक्ति को दिया जाए तो उसमें मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी हैं पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री का पद जब संभाला तो उनके पास बहुत कम समय था बावजूद इसके उन्होंने बहुत अच्छा काम किया और लगातार प्रदेश में युवाओं के महिलाओं के बीच में पकड़ बनाई और अब जब पार्टी जीत कर एक बार फिर से सत्ता में वापसी कर रही है तो ऐसे में हो सकता है कि युवा चेहरा युवा नेतृत्व के नाम पर भाजपा एक बार फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ही प्रदेश की कमान दे दे।
इन सबके बीच में प्रदेश में पिछले कुछ सालों से लगातार जो एक नाम चलता रहा वह है राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का अनिल भी का नाम प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर कई बार सामने आया लेकिन बताया गया कि कभी विधायकों ने इसके लिए असहमति दर्ज कर दी तो कभी केंद्रीय नेतृत्व नहीं उन्हें फिलहाल मुख्यमंत्री का पद का दावेदार नहीं माना लेकिन एक बार फिर से अनिल बलूनी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने आने लगे हैं और बताया जा रहा है कि जिस तरह से केंद्र में उनकी अच्छी पकड़ है इसका लाभ उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर भी मिल सकता है।
बाकी भाजपा में ऐसे कई नेता है जो कि मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं और जिस तरह से भाजपा पिछले सब कुछ समय में यह दिखाई भी रही है कि उनके लिए पार्टी सर्वप्रथम है ना कि व्यक्ति विशेष इससे अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि ऐसी कोई बड़ी बात नहीं होगी कि किसी ऐसे व्यक्ति को भाजपा मुख्यमंत्री बना दे जो किसी के दिमाग में भी ना हो क्योंकि भाजपा इससे पहले भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना चुकी है।