
उत्तराखंड में आरटीओ विभाग के अंदर कितना भ्रष्टाचार है इसकी बानगी समय-समय पर सामने आने वाली खबरें कर देती हैं। कुछ दिन पहले हमने आपको बताया था कि किस तरह से आरटीओ विभाग ने बड़ा गोलमाल कर रखा है, वहीं अब एक और ऐसा ही मामला सामने आया है। देहरादून सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय वर्धन ने हमारे साथ पूरे मामले को सांझा करते हुए बताया कि, किस तरह से आरटीओ विभाग ने टाटा मैजिक को लाभ पहुंचाने के लिए पूरा रूल ही बदल दिया। जबकि रूल को बदलना किसी भी तरह से सही नहीं है ना ही परिवहन विभाग बदल सकता है।
विजय वर्धन डंडरियाल द्वारा हमारे से साझा की गई जानकारी
(परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला)मेरे द्वारा शपथ पत्र एवं साक्ष्यों के साथ माननीय प्रधानमंत्री, माननीय परिवहन मंत्री भारत सरकार , माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड ,सीबीआई दिल्ली, एवं सीबीआई देहरादून से परिवहन विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर जांच की मांग की गई है क्योंकि यह मामला केंद्र एवं राज्य सरकार से भी संबंधित है जो निम्नलिखित है:-
- परिवहन विभाग द्वारा टाटा मैजिक 10 सीटर वाहन छोटी गाड़ी को M2 वाहन की कैटेगरी(श्रेणी) में रखा गया हैं।
- M 2 श्रेणी के वाहन 8 से अधिक सवारी और ड्राइवर को छोड़कर M2 वाहन की श्रेणी में आते है।इसी का फायदा उठाकर परिवहन विभाग द्वारा 10 सीटर छोटे वाहन टाटा मैजिक को M2 श्रेणी के वाहन में स्वीकृत कर दिया गया हैं।
- जबकि केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1989 के रूल्स में स्पष्ट लिखा है की M2, M3 श्रेणी के वाहन 13 सीट से अधिक होंगे। और उनमें बस बॉडी कोड लागू होगा। तो क्या यह टाटा मैजिक वाहन बस बॉडी के रूप में हैं। केंद्र के रूल्स की किसी भी धारा को बिना केंद्र सरकार के अमेंडमेंट के बाईपास (ओवर रूल्ड ) नहीं किया जा सकता हैं।
- क्या परिवहन विभाग के अधिकारियों को पता नहीं है की M2 वाले वाहन किस श्रेणी में होते हैं तो फिर परिवहन विभाग द्वारा कैसे 10 सीटर छोटी गाड़ी टाटा मैजिक वाहन को M2 की श्रेणी में स्वीकृति दी गई ।
- इसलिए इस छोटी गाड़ी को आरटीओ देहरादून द्वारा बस श्रेणी का स्टेज कैरिज परमिट भी दिया गया जो कि नियम विरुद्ध था। इसीलिए प्रार्थी द्वारा माननीय प्रधानमंत्री एवं परिवहन मंत्री, मुख्यमंत्री,सीबीआई से जांच की मांग की गई और इन परिवहन अधिकारियों को दंडित करने की मांग भी की गई है।
