योगेश सेमवाल
कांग्रेस ने लंबे मंथन के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर दिया है, जहां प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कांग्रेस के पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष और यंग ब्लड करन माहरा के कंधों पर कांग्रेस हाईकमान ने दे है तो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को दी गई है.लेकिन जब हम बात सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष की करते हैं तो करन माहरा के सिर पर कांग्रेस हाईकमान ने कांटों भरा ताज रख दिया है. कांटों भरा ताज हम क्यों कह रहे हैं इसकी कई सारी वजह हैं.
जहां करन माहरा अभी एक युवा नेता हैं और कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी से भले ही वो पूरी तरह से वाकिफ हैं बावजूद इसके वो अभी भी ऐसे नेताओं में शामिल हैं जो ज्यादा गुटबाजी से दूर ही रहते हैं. इसके कई सारे उदाहरण हैं. वहीं अब जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है तो उन्हें कांग्रेस के अंदर के सभी गुटों को साधना होगा, जहां प्रीतम सिंह अभी से एक्टिव हो गए हैं और उनकी नाराजगी साफतौर पर सामने आ गई है. उन्होंने मीडिया में बयान भी दे दिया है की उनके ऊपर गुटबाजी का आरोप लगाया गया है और कोई भी इसे साबित कर देगा तो मै अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा.
इससे साफ है की गुटबाजी के वजह से ही पार्टी हाईकमान ने प्रीतम पर भरोसा नही जताया और यशपाल को नेता प्रतिपक्ष बना दिया. और अब प्रीतम को साध लेकर चलना भी करन के लिए किसी चुनौती से कम नही होगा.
दूसरा जो सबसे बड़ा संकट करन के सामने है वो है पार्टी को उभारने का पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है, ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं के कंधे झुके हुए हैं ऐसे में करन के सामने चुनौतियों का पहाड़ है जिसे पार पाना होगा.
करन माहरा के सामने जो एक और बड़ी चुनौती है वो है सबको साथ लेकर चलने की, पिछले कुछ सालों में ही कांग्रेस ने कई प्रदेश अध्यक्ष देख लिए हैं 2017 में कांग्रेस हारी और किशोर उपाध्याय को हटा दिया गया, उसके बाद प्रीतम सिंह को मौका मिला तो ठिक 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें भी हटा दिया गया और उसके बाद युवा नेतृत्व के तहत गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली और उनका प्रफोर्मेंस बहुत अच्छा रहा भले ही वो हार गए लेकिन कांग्रेस की सीटें बढ़ गई इसके बावजूद भी कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें हटाकर अब ये जिम्मेदारी करन को दे दी है और उनके सामने कई सारी चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं. करन माहरा को अब इन बड़े नेताओं को साथ लेकर चलना होगा.ॉ
पार्टी कार्यकर्ता हाई कमान से खासा नाराज हैं और सोशल मीडिया पर खुब बयानबाजियां भी हो रही हैं, वजह कई हैं लेकिन ज्यादातर कार्यकर्ता अपने नेताओं की अनदेखी को लेकर नाराज हैं, और अब करन को इन कार्यकर्ताओं को भी साधना होगा.
कांग्रेस हाईकमान ने जहां करन को एक बड़ा मौका दिया है वहीं उनकों विरासत में कुछ नही मिला है, आज हालत कांग्रेस के लिए प्रदेश में बहुत गंभीर हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव इसके साथ ही ग्राम स्तर और नगर निकाय के चुनाव भी सामने हैं और इनमें करन को खासा मेहनत करनी पडेगी.