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उत्तराखंड जबसे बना है तबसे ही समय समय पर कई बड़े घोटाले सामने आते रहते हैं, और अब एक ऐसा ही घोटाला जल निगम से जुड़ा हुआ सामने आया है.
यह घोटाला 2005 का है जो कि अब सामने आ रहा है, पेयजल निगम में 2005 में असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर की भर्ती की गई और यह भर्ती आरक्षित पदों पर हुई थी यानी कि ऐसे पद जो कि एससी, ओबीसी और महिला कोटे के लिए ही सुरक्षित रखे गए थे. इसके बावजूद इन सभी पदों पर यूपी, बिहार और दिल्ली के लोगों को नौकरी दे दी दे दी गई.
पेयजल निगम में 2005 में पंजाब यूनिवर्सिटी को असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर की पदों की भर्ती का जिम्मा सौंपा गया था, जिसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी ने परीक्षा कराई और उसके बाद उन्होंने चयनित लोगों की सूची पेयजल निगम को दे दी. इसके बाद जल निगम स्तर पर एक चयन समिति गठित की गई तो दूसरी तरफ अभ्यार्थियों से प्रमाण पत्रों के साथ-साथ उनके सभी दस्तावेज भी मांगे गए. लेकिन इस जांच प्रक्रिया में जांच समिति ने गड़बड़ी की और दस्तावेजों की पड़ताल सही से नहीं की गई और यही वजह रही कि एससी, ओबीसी और महिला कोटे में उत्तराखंड से बाहर के असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियरों की भर्ती कर दी गई इसमें यूपी और दिल्ली के साथ ही बिहार के लोग भी शामिल रहे.
ये पूरा खबर दैनिक हिंदुस्तान कि रिपोर्ट पर बेस है
यह कहता है नियम
उत्तराखंड में आरक्षित पदों की नियुक्ति को लेकर नियम साफ है कि राज्य के आरक्षित पदों पर सिर्फ उत्तराखंड के लोगों को ही नियुक्ति दी जा सकती है इस में एससी एसटी ओबीसी, महिला, विकलांग पूर्व सैनिक समेत सभी आरक्षित पदों पर उत्तराखंड के लोग ही लाभ ले सकते हैं।