
राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वृहद स्तर पर काम किया जा रहा है। पिछले 7 से 8 सालों में राज्य ने जैविक खेती में काफी प्रगति की है। जैविक खेती का क्या है मौजूदा स्टेटस और क्या है 2025 तक का खास प्लान। बताते हैं हम

उत्तराखंडी उत्पादों को बड़ा बाजार देने के लिए विभाग द्वारा खासा प्रयास किया जा रहा है। इसी के तहत भारत सरकार के कुछ अधिकारी देहरादून पहुंचे जहां राज्य के अधिकारियों ने उन्हें जीआई के लिए अट्ठारह उत्पाद दिखाए। यह टेकिंग 4 महीने के भीतर मिल जाएगी। इससे राज्य के उत्पादन को भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा। किसी भी राज्य में आज तक अट्ठारह उत्पादन पर सुनवाई नहीं हुई है। ऑर्गेनिक बोर्ड के एमडी विनय कुमार ने बताया कि अगले चरण में हम 15 से 30 और उत्पाद लाएंगे, जबकि 2025 से पहले 51 उत्पादों को विभाग लक्ष्य बनाकर चल रहा है। इससे किसानों को तो फायदा होगा ही इसके साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति और उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार में बड़ी पहचान मिलेगी।

सबसे बड़ी दिक्कत ऑर्गेनिक के कृषकों को इस मायने में आ रही है कि उन से सामान खरीद कर उसमें मिलावटी सामान परोसा जा रहा है और अनियोजित तरीके से बाजार में बेचा जा रहा है जिससे उत्तराखंड के उत्पादों की खासी फजीहत होती है। हालांकि विभाग ने अलग से इसके लिए हॉट लगाने का निर्णय भी लिया है, लेकिन अब और शक्ति के लिए कानून भी बना रही है। औधिनिकी फार्मिंग एक्ट के तहत उन लोगों की अब खैर नहीं होगी जो इस तरह के कार्यों में संलिप्त होंगे। विभाग के एमडी ने बताया कि जल्द ही यह कानून लागू किया जाएगा।

2003 में ऑर्गेनिक बोर्ड का गठन किया गया। ऑर्गेनिक बोर्ड के गठन के कुछ सालों तक महज हम 16 हजार हेक्टेयर खेती ही कर पाते थे लेकिन अब अन्य कृषि भूमि के मुकाबले 2 लाख 16 हजार हेक्टेयर ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। कुल खेती का 34% ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। ऑर्गेनिक खेती के लिए राज्य सरकार ने काफी सुविधा भी मुहैया करवाई है, भारत सरकार अलग से और राज्य सरकार से जैविक कृषिको को प्रोत्साहित भी करती है। विभाग का लक्ष्य की 2025 तक 60 फीसद ऑर्गेनिक खेती राज्य में की जाएगी।
