भारत में पिछले लंबे समय से कई राजनीतिक दलों द्वारा जातीय जनगणना की मांग की जा रही थी। वहीं केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अब जातीय जनगणना करने की बात कही है। केंद्र सरकार का कहना है कि अब जनगणना के साथ ही जातीय जनगणना भी करवाई जाएगी।
अभी तक 1951 के बाद से हर 10 साल में जनगणना की जाती रही है वहीं 2021 मे जनगणना होनी थी जिसे कोरोना की वजह से टाल दिया गया था।
मोदी सरकार की आज कैबिनेट बैठक हुई और कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी
‘राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।’
इसके साथ ही उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर भी निशाना सदा उन्होंने कहा कि पूर्व में लंबे समय तक कांग्रेस सरकार रही लेकिन उन्होंने जातीय जनगणना का हमेशा विरोध किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है
कांग्रेस ने दशकों तक जातिगत जनगणना का विरोध किया और इस मुद्दे पर हमेशा अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि स्वतंत्रता के बाद आज तक जातिगत जनगणना कभी नहीं करवाई गई। कांग्रेस ने जातियों के बीच विभाजन को बढ़ावा देकर उन्हें सिर्फ वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया।
वहीं आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसमें जातिगत जनगणना को जनगणना प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। यह निर्णय न केवल समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है बल्कि यह सामाजिक समानता, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।