उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर से एक लंबा सोशल मीडिया पोस्ट लिखा है, अपने पोस्ट में हरीश रावत ने बीजेपी के ऊपर जमकर हमला बोला है साथ ही कई सवाल भी खड़े किए हैं।
हरीश रावत का पोस्ट
लगभग चुनाव की तैयारी शुरू होते ही #CBI का नोटिस और मेरी एक सामान्य सी टिप्पणी, न डर, न क्रोध, न आश्चर्य। पहले भाजपा ने भटा-भट गोले दागे। जब उनके गोलों का तथ्यात्मक जवाब दिया तो भाजपा के शार्प शूटर मुझ पर दनादन गोलियां दागने लगे, बिना सोचे-विचारे। उन्होंने हमारी सामूहिक बलिदान और वीरता के प्रतीक उत्तराखंड और उत्तराखंडियत पर भी गोलियां दागी हैं। हमने बड़े अरमानों के साथ हरिद्वार को उत्तराखंड में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया और हरिद्वार जोड़ो जन आंदोलन चलाया। उस समय कई लोगों ने तुच्छ शब्दों का प्रयोग कर मुझ पर प्रहार किये। अंत भला सो भला। हमारा सौभाग्य है कि आज उत्तराखंड राज्य की आर्थिक विकास की बुनियाद हरिद्वार और उधमसिंहनगर से हर वर्ष मजबूत हो रही है और यह हमारे राज्य की पिछले 24 सालों की संतुलित नीतियों का परिणाम है। कुछ लोगों का सौभाग्य है, जिनको उत्तराखंड राज्य बनने से पहले यहां के भूगोल, इतिहास, संस्कृति का कुछ भी ज्ञान नहीं था, आज उन्हें भी सवालों के गोले दागने का अवसर हमारे प्रयासों की सफलता से ही मिल पाया है।मुझे बेहद खुशी है कि पिछले लगभग 25 वर्षों से मैं निरंतर हरिद्वार के साथ जुड़ा हुआ हूं। कभी हरिद्वार जोड़ो आंदोलन तो कभी कांग्रेस को हरिद्वार की राजनीति में एक सम्मान पूर्ण स्थान पर खड़ा करने के लिए गांव-गांव दौरा किया। कुछ बातें मैंने हरिद्वार जोड़ो आंदोलन के दौरान वहां के भाई-बंधुओं से कही थी और कुछ वादे किए थे। उन बातों और वादों को सत्यता व यथार्थ में बदलते देखकर मुझे आत्मिक खुशी होती है। लगता है कि मैं इम्तिहान में पास हो गया हूं।
मैंने कभी सोचा नहीं था कि #अल्मोड़ा और कुमाऊं के अलावा कहीं और अपना कर्म क्षेत्र बनाऊंगा। संयोग था, परिसीमन के बाद स्थितियां बदली। पार्टी ने 2009 में मुझे हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का आदेश दिया। मैं और मेरा वंश हमेशा हरिद्वार संसदीय क्षेत्र व यहां के लोगों के ऋणी रहेंगे। हरिद्वार के लोगों ने मुझे अपार प्यार, समर्थन दिया और 14 की 14 विधानसभाओं में अच्छे बहुमत से विजयी बनाया और मैंने 5 साल सांसद व केंद्रीय मंत्री के रूप में हरिद्वार के गांव-गांव, गली-गली लोगों से जनसंपर्क किया तथा सेवा की और हर भाई-बहन की तरफ सेवा का हाथ बढ़ाया। ढेर सारे विकास के काम हुये जिन्हें लोग आज भी गिनाते हैं।
मैंने अपनी पार्टी और सरकार से संघर्ष कर 2004-5 में सिडकुल में स्थापित हो रहे उद्योगों में 70% स्थानीय नौजवानों को नौकरी देने का आदेश करवाया और उसका सर्वाधिक लाभ हरिद्वार व उधमसिंहनगर के ग्रामीण भाई-बहनों को प्राप्त हुआ। उधमसिंहनगर को कम प्राप्त हुआ क्योंकि वहां खेती अच्छी होती थी। मेरे सांसद बनने के बाद कृषि व आमदनी के क्षेत्र में हरिद्वार 2009-10 तक जिलों के आधार पर पांचवें स्थान पर था, आज वह हरिद्वार प्रति व्यक्ति औसत आय वृद्धि दर तथा कृषि, दुग्ध व सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में उधमसिंहनगर को टक्कर देकर आगे निकल गया है। गन्ने का बीज बदलने से गन्ना उत्पादक किसानों को उत्तर प्रदेश से गन्ने का मूल्य ₹1 अधिक दिए जाने का निर्णय भी उसी कालखंड में लिया गया, जब हरीश रावत उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था या सांसद था और आज भी मैं हरिद्वार के गन्ने व गुड़ का अघोषित अम्बेसडर हूं।
मुझे गर्व है इस बात को कहते हुये कि उत्तराखंड में तो मैंने गुड़ की कटक के साथ चाय को एक आंदोलन बना दिया है। मैं प्रयासरत हूं कि देश के दूसरे भागों में भी लोगों को गुड़ की कटक के साथ चाय का चस्का लगाऊं। उद्देश्य है गुड़ को उत्तराखंड के कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करना। मैं बहुत विनम्रता से बताना चाहता हूं कि सांसद बनने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के कार्यकाल में हरिद्वार के अंदर सर्वाधिक सड़कें, पुल, नदियों के तटबंध, ठोकरें, सीवर लाइन बिछाने के कार्य, गांव-गांव में नल द्वारा मीठा व स्वच्छ पानी पहुंचाने, डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज खोलने या उनको मान्यता देने, मेडिकल कॉलेज और डिग्री कॉलेज, आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलने के कार्य हुये। हरिद्वार का अर्ध कुंभ बिना केंद्रीय सहायता के शानदार ढंग से पूरा हुआ। बाईपास सहित वेबकोष के माध्यम से काली मंदिर क्षेत्र में नई पौड़ी विकसित की गई। हरिद्वार में एक से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग स्वीकृत हुये। किसी भी गांव या क्षेत्र में मेरे इस कार्यकाल में मुझे किसी ने कोई आदेश दिया हो और उनके वोट से उपकृत हरीश रावत ने उस कार्य को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त की हो ऐसा संभव नहीं है। हरिद्वार में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जो अच्छे मोटरेबल मार्ग से न जुड़ा हो, यहां तक की जाते-जाते कनखल, लक्सर का नेशनल हाईवे को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में उच्चीकृत करवाकर मैं उसका काम शुरू करवाकर गया।
हरिद्वार में प्रतिवर्ष बाढ़ से किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद हो जाती थी। आज गंगा, सौलानी, रतमऊ, बूढ़ी गंगा, पथरी रौ और मोहंड रौ में बने हुए तटबंध किसानों के खेती की सुरक्षा की गारंटी है। मुझे यह कहते हुए दुख है कि मेरे बाद आने वाले महा पराक्रमी योद्धागण इन तटबंधों में कहीं टूट हो जा रही है, तो उसकी मरम्मत भी नहीं करवा पा रहे हैं। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक क्षेत्र में सुधरी हुई बिजली आपूर्ति के लिए 6नये उच्चीकृत सब स्टेशन्स स्थापित किए गए। नई तहसीलें व डिवीजन खोले गये। राज्य में मेरे कार्यकाल में जो नौकरियां स्वीकृत हुई, उनका सर्वाधिक लाभ हरिद्वार के युवाओं को मिला, विशेष तौर पर पुलिस में बेटे और बेटियों ने अच्छी सफलता प्राप्त की।
हिमालय के नाराज होने से मैं बहुत चिंतित हूं। यदि हिमालय पर चोट पहुंचती है तो उसका परिणाम कितना डरावना हो सकता है, यह देहरादून के लोगों ने 2 दिन की आफत में झेला व समझा है। पहाड़, भाबर, तराई और मैदान, यह सब हिमालय के हिस्सा है। इनमें से यदि कोई हिस्सा कमजोर रह जाएगा तो इसका दुष्प्रभाव दूसरे हिस्सों में पड़ेगा। पहाड़ से पलायन ने राज्य के सामने बहुत सारी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। मैंने, उत्तराखंड, उत्तराखंडियत और कुछ सीमा तक पूरे मध्य हिमालय के हित में पहाड़ों के विकास की भी नई रणनीति बनाई, यह नीति उन क्षेत्रों की मानव क्षमता, संस्कृति, परिवेश, उत्पादन, हस्तशिल्प, वस्त्र-आभूषण आदि-२ से जुड़ी हुई थी। यदि पहाड़ों से सैलाब आएगा तो सर्वाधिक नुकसान भाबर, तराई और मैदान का होगा। यह हमने 2013 में भी देखा और आज देहरादून में देख रहे हैं। 2 दिन के जल सैलाब ने पूरे देहरादून को आतंकित कर दिया था और हिला कर रख दिया है।
हम अब एक राज्य हैं। हमारा एक भविष्य है और यह सुंदर हो इसके लिए समग्र विकास का दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। पहाड़ और मैदान कुछ न करने वालों के लिए राजनीतिक सगूफे हो सकते हैं, मगर कर्म पुरुष के लिए दोनों का समग्र विकास अच्छे भविष्य के लिए आवश्यक है। #संकीर्ण_मानसिकता व शब्द भावनाओं को भड़का सकते हैं। मगर समाज, राज्य व देश को नहीं बना सकते हैं। मुझे गहरा दुःख है कि मैं जिनके लिए जीवन पर्यंत संघर्ष करता रहा हूं उनके अपने बेगानेपन ने मुझे इस स्थिति में लाकर के खड़ा कर दिया कि लोग मुझको यह याद दिलाते हैं कि मैं कितने चुनाव हार गया हूं। लेकिन मैं इतना बता दूं कि मैंने अपनी सोच और समझ पर विश्वास नहीं खोया है। मेरा विश्वास अपनी बातों पर, अपने कर्म व संघर्ष करने की क्षमता पर आज भी बना हुआ है। हर बार मेरी हार ने मेरे अंदर एक नया संकल्प पैदा किया है। अभी देखते जाइए, बिस्मिल्लाह है। देखते हैं आगे क्या होता है?
मैंने हरिद्वार में प्रत्येक जाति, धर्म, क्षेत्र हर वर्ग का सम्मान किया है। अवसर मिलते ही मैंने समान भाव से प्रत्येक वर्ग को किसी न किसी रूप में सम्मान दिया, पार्टी संगठन से लेकर सरकार में तक। कैबिनेट मिनिस्टर और आयोगों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री और राज्य मंत्री पद देकर, मैंने हर किसी के मान को सम्मान दिया है। किसी की ऊपर उठी हुई मूंछों में यदि मुझे महाबलीदानी राजा विजय सिंह का अक्ष नजर आता था, यह मेरी नजर का दोष नहीं है। मैंने 3-4 कैबिनेट मंत्रियों सहित आठ लोगों को दर्जाधारी बनाकर उस गौरवपूर्ण बलिदान का सम्मान किया। यदि कोई उस सम्मान की रक्षा नहीं कर सका तो इसमें हरीश रावत का दोष नहीं है। मुझे अवसर मिला तो आगे भी सम्मान करुंगा। मैंने तो उन वर्गों का भी सम्मान किया जिनके नाम तक कई लोगों को मालूम नहीं होंगे। मैंने उनके महापुरुषों के नाम पर घाट, चौराहों का नामकरण किया तथा उन महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित की। मैंने वीरता के प्रतीक पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप से लेकर महारानी अहिल्याबाई होलकर व राजा सुहेलदेव के नाम पर भी राज्य के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग व संस्थाओं का नामकरण किया। मैंने वोट के लिए नहीं सामाजिक कृतज्ञता प्रकट करने के लिए यह कदम उठाए। मैंने यदि मेडिकल कॉलेज का नामकरण बाबा साहब भीमराव अंबेडकर व पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन जी के नाम पर करने का निर्णय लिया तो हमने ज्योतिबा फुले और रमाबाई फुले के नाम पर भी संस्थाओं का नामकरण किया। मुझे गर्व है कि मैंने छोटे-छोटे समुदायों जैसे धोबी, छीपी, सलमानी आदि को भी याद करने और सम्मान देने का दायित्व निभाया। मैंने हर समाज व वर्ग का सम्मान किया और पिछले 10 वर्षों से किसी पद पर नहीं हूं। लगातार चुनाव हार रहा हूं, लेकिन मैंने अपनी सेवा भावना और समर्पण नहीं छोड़ा है। लोगों ने मुझे भले ही छोड़ा हो, मगर मैंने लोगों को अवसर आने पर हमेशा याद रखा और आगे भी याद रखूंगा। मैंने अपने बेटे व बेटियों में भी यही संस्कार दिए हैं।
मेरे पुत्र #विरेंद्र के पास यदि 15-20 करोड रुपए की संपत्ति है तो मेरे लिए यह अच्छी खबर है। पिता की गलती को उसने सुधारा है। उसके दादाजी के तीन-चार गांवों में जमीन थी, जिसका खाता अब मेरे नाम से खुलता है। वह दो-तीन शिक्षण संस्थाओं का संचालन कर रहा है। उसके पिता को 25 वर्ष सांसद और विधायक तथा शेष 25 वर्ष विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहने का सौभाग्य मिला है। विरेंद्र के घर में कोई खुल जा सिम-सिम वाला खजाना नहीं आया है। हां, यदि यह संपत्ति 80-90 करोड़ रुपए की होती तो मुझे भी लगता कहीं न कहीं कोई गलती है।
मैंने कभी भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा नहीं किया। मेरा यह भी दावा नहीं है कि मुझसे भूल नहीं हुई होगी। 58-60 साल के सार्वजनिक जीवन में गलतियां स्वाभाविक हैं। दूसरों पर उंगली उठाने वाले और भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा करने वाले देवताओं को यह तो बताना ही पड़ेगा कि 2016 के #तथाकथित_स्टिंग के बाद कहां से कुछ लोगों व उनके पारिवारिक जनों की संपत्ति में अचानक बहुत कुछ जुड़ गया। परिश्रम और मेघा की इस बूटी (जड़ी) को वह यदि अपने परम मित्र मुख्यमंत्री जी को सूंघा दें तो मंगल ही मंगल हो जाएगा। इतनी नदियां गाड़-गधेरे नहीं खोदने पड़ेंगे और जमीनें लीज पर नहीं देनी पड़ेंगी। राज्य के हर मोड़ पर शराब की दुकान खोलने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। राज्य के कोष का मंगल ही मंगल हो जाएगा।
बहुत सारे लोग कहते हैं कि मैंने अपनी सरकार बचाने के लिए विधायक खरीदने की बोली लगाई। मुझे अभी तक किसी ने यह नहीं बताया कि विधायक बेचने वाला उस्ताद किन-किन विधायकों को बेचने आया था और उनकी बोली लगा रहा था? लेकिन उन बिक्री पर लगे हुए विधायकों के नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं हैं। एक ऐसे उस्ताद को मैं भी जानता हूं जो राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री को पापी, भ्रष्टाचारी और उनके पुत्र को शेटर (दलाल) बता रहा था। हां, एक व्यक्ति मेरे गले पढ़ कर बार-बार ना-ना कहने के बावजूद मुझे लाल किला, चांदनी चौक व कनॉट प्लेस बेच रहा था। मैंने कहा मेरे पास पैसा नहीं है। उसने कहा मूल्य मैं अदा कर दूंगा। मैंने कहा हां, जिस दिन लाल किला, चांदनी चौक व कनॉट प्लेस मेरे नाम कर दोगे, जितना खरीदने में तुम्हारा लगेगा, टॉप-अप करके मुझसे ले जाना और इन संपत्तियों को खरीदने और बेचने में दलाली भी खा लोगे तो मैं आंख मूंद लूंगा। उस दिन तो मैं जिस व्यक्ति को एक स्वावलंबी (चप्पल छाप) सम्मानित पत्रकार समझ रहा था, अब पता चला है कि वह व्यक्ति तो 100 करोड़ रुपए से अधिक का मालिक है। उस दिन तो मैंने जबरदस्ती मेरे गले पड़ गये व्यक्ति से पल्ला छुड़ाने के लिए कुछ यूं ही कह दिया। अब यदि कभी अवसर आया तो उस व्यक्ति को मैं ठीक से उत्तराखंड का #भूगोल व #इतिहास समझा दूंगा। क्योंकि मैं अब उस व्यक्ति को भली भांति समझ गया हूं। देश में भी बहुत सारे लोग अच्छी प्रकार समझ गए हैं, हरिद्वार वाले भी समझने लग गए हैं, जो नहीं समझे हैं आगे समझ जाएंगे। नहीं तो डॉ. रमेश पोखरियाल जी, श्री त्रिवेंद्र सिंह जी उनका मार्गदर्शन कर देंगे। यदि ये लोग नहीं कर पाएंगे तो माननीय भगतदा तो हैं ही हैं।
#राजनीति में दो मुहापन अधिक नहीं चलता है। यदि मेरा दावा यह है कि पद पर रहते हुये प्रत्येक वर्ग ने जो मांग रखी उसको पूरा करने का प्रयास किया तो यह दावा मुसलमान भाइयों पर भी लागू होता है। मुझे गर्व है, मैं गंगाजल हाथ में लेकर के कह सकता हूं कि मेरे वर्षों-वर्षों के राजनीतिक जीवन में उत्तराखंड के किसी भी मुस्लिम भाई ने मुझसे मुस्लिम यूनिवर्सिटी तो छोड़िए, मुस्लिम डिग्री कॉलेज भी नहीं मांगा। वह लोग दो तथ्यों से अपने सामान्य ज्ञान के आधार पर परिचित हैं कि देश का संविधान किसी धर्म की आरती व पूजा के लिए सरकारी कार्यालयों में छुट्टी की अनुमति नहीं देता है। चाहे वह श्री हनुमान चालीसा हो, श्रीमद् भागवत हो या नमाज हो, पढ़ने के लिए सरकारी कार्यालयों में छुट्टी नहीं हो सकती है और न धर्म के आधार पर कोई विश्वविद्यालय खोला जा सकता है। यह तो भाजपा का चुनावी गंडा था जो उन्होंने उत्तराखंड के गले में डाल दिया। यदि भाजपा का शार्प शूटर इस गंडे का मान नहीं रखेगा तो फिर कैसे सिद्ध होगा कि वह भाजपा के चुनावी तारण हार हैं?


