
इस साल केदारनाथ यात्रा कई रिकॉर्ड बना रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जबसे यात्रा शुरू हुई है तब से अभी तक 300 करोड़ का कारोबार हो चुका है।
घोड़ा खच्चर संचालन से 67 करोड रुपए और हेली सेवाओं ने 60 करोड़ का व्यापार किया है वही जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारियों ने भी लगभग डेढ़ सौ करोड रुपए का व्यापार किया है।
लेकिन इन सब के बीच में जहां हेली सेवाओं ने 48 दिनों में 60 करोड़ का व्यापार किया है तो पिछले चार दिनों से केदार घाटी में एक भी हेलीकाप्टर नहीं उड़ रहा है। वो श्रद्धालु जिन्होंने कई महीनो पहले अपने टिकट ले लिए थे वह लोग भी परेशान है, इसके साथ ही हेलीकॉप्टर से जुड़े हुए व्यापारी भी परेशान है कि आखिर कब केदारनाथ धाम के लिए दोबारा हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होगी।
हेलीकॉप्टर सेवा शुरू न होने की वजह से यात्री तो परेशान हैं ही पर सवाल उठता है कि आखिर हेलीकॉप्टर सेवा मौसम ठीक होने के बाद भी अभी तक शुरू क्यों नहीं हो पाई है!
और इसकी वजह 15 जून को केदार घाटी में हुए हेलिकॉप्टर हादसे से जुड़ी हुई है। 15 जून को केदार घाटी में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो था। जिसमें पायलट समेत 7 लोग सवार थे इसमें बच्चे शामिल भी थे, हेलीकॉप्टर हादसे में सभी की जान चली गई। हेलीकॉप्टर हादसे की वजह जहां प्रशासन द्वारा खराब मौसम को बताया गया तो इसकी आंच दो पायलट के ऊपर भी गिरी। दोनों ही पायलटो को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया इसके साथ ही 6 महीने के लिए उनका लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार हादसे की वजह मौसम का खराब होना नहीं बल्कि डीजीसीए के मैनेजमेंट से जुड़ी हुई है। फ्लाइट ने तभी उड़ान भरी जब पायलट द्वारा डीजीसीए के फ्लाइट ऑपरेशन ऑफिसर से परमिशन ली गई लेकिन अब सारा ठीकरा पायलट के सर पर फोड़ा जा रहा है।
इसके साथ ही जब हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी उस समय का भी एक वीडियो सामने आ गया है जिससे साफ नजर आ रहा है की मौसम उस तरफ बिल्कुल साफ है जहां हेलिकाप्टर को उड़ान भरनी थी।
वीडियो का स्क्रीन शॉट
पायलट ने बिल्कुल डीजीसीए के नियमों के अनुसार ही उड़ान भरी थी डीजीसीए के नियम साफ कहते हैं कि हम सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले उड़ान परमिशन लेकर भर सकते हैं। बिना जांच के ही दोनों पायलट को दोषी करार दे दिया गया है।
हमने उन पायलट से बात करने की कोशिश की तो उनकी तरफ से कहा गया कि हम दोनों ने ही भारतीय सेना के लिए काम किया है एक भारतीय थल सेना में थे तो दूसरे भारतीय वायुसेना में। हमें हेलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव भी लंबा है “बस यही कहना चाहते हैं कि जो भी हुआ इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। किसी को भी दोषी करार देने से पहले जांच जरूर होनी चाहिए
हमने उन पायलट से बात करने की कोशिश की तो उनकी तरफ से कहा गया कि हम दोनों ने ही भारतीय सेना के लिए काम किया है एक भारतीय थल सेना में थे तो दूसरे भारतीय वायुसेना में। हमें हेलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव भी लंबा है “बस यही कहना चाहते हैं कि जो भी हुआ इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। किसी को भी दोषी करार देने से पहले जांच जरूर होनी चाहिए।
रोटरी विंग सोसाइटी ऑफ इंडिया (RWSI) जो कि एक गैर-लाभकारी पेशेवर संगठन है जो भारत में हेलीकॉप्टर उद्योग के विकास के लिए समर्पित है उसने इस पूरे हादसे को लेकर एक श्वेत पत्र भी जारी किया है जिसमें उन्होंने कई बातें रखी है।
आरडब्ल्यूएसआई व्हाइट पेपर
विषय: हेलीकॉप्टर सुरक्षा निगरानी के प्रति डीजीसीए के वर्तमान दृष्टिकोण पर चिंताएं और प्रणालीगत सुधार के लिए सिफारिशें
तारीख: 18 जून 2025
प्रस्तुतकर्ता: रोटरी विंग सोसाइटी ऑफ इंडिया (आरडब्ल्यूएसआई)
कार्यकारी सारांश:
हाल के हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के मद्देनजर, रोटरी विंग सोसाइटी ऑफ इंडिया (आरडब्ल्यूएसआई) पायलटों, ऑपरेटरों और उद्योग हितधारकों का प्रतिनिधित्व करते हुए, डीजीसीए की हालिया कार्रवाइयों और उड़ान संचालन निरीक्षणालय (एफओआई) की भूमिका के बारे में गंभीर चिंताएं व्यक्त करना चाहता है। उद्योग के भीतर एक बढ़ती धारणा है कि पायलट निलंबन और एफआईआर जैसी कार्रवाइयां पूरी जांच के आधार पर नहीं, बल्कि अधूरी या गलत आकलन के आधार पर की गई हैं, जो एफओआई द्वारा प्रदान की गई हैं जिनके पास वर्तमान या प्रासंगिक सिविल हेलीकॉप्टर परिचालन अनुभव नहीं हो सकता है।
मुख्य अवलोकन:
1. अनुपातहीन और पूर्ववर्ती कार्रवाई: बिना पूरी जांच के पायलट निलंबन और एफआईआर जैसी कार्रवाइयां की गई हैं।
2. एफओआई की भूमिका और पृष्ठभूमि: एफओआई की नियुक्ति और अनुभव की समीक्षा करने की आवश्यकता है, खासकर सिविल हेलीकॉप्टर परिचालन में।
3. गलत कार्रवाइयां: डीजीसीए की कार्रवाइयां पायलटों को दंडित करने के लिए की जा रही हैं, जो सुरक्षा-चेतन निर्णय लेने को प्रोत्साहित नहीं करती हैं।
सिफारिशें
1. एफओआई योग्यता और अनुभव की समीक्षा: एफओआई नियुक्ति के लिए स्पष्ट मानदंड स्थापित करना।
2. स्वतंत्र और पारदर्शी जांच प्रक्रिया: बिना पूरी जांच के दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
3. हेलीकॉप्टर सुरक्षा समीक्षा बोर्ड की स्थापना: एक संयुक्त मंच जो डीजीसीए, एएआईबी, ऑपरेटरों और आरडब्ल्यूएसआई को नियमित रूप से एसओपी, दुर्घटना प्रवृत्तियों और पायलट प्रतिक्रिया की समीक्षा करने के लिए शामिल करता है।
4. मनमानी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक: सुरक्षा संस्कृति को कमजोर करने से बचने के लिए पूर्ववर्ती दंड से बचना चाहिए।
5. एसओपी तर्कसंगतकरण: एसओपी को वास्तविक समय के मौसम और दृश्यता के अनुकूल बनाने के लिए संशोधित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
आरडब्ल्यूएसआई का मानना है कि हेलीकॉप्टर सुरक्षा में सुधार केवल एक सहयोगात्मक, विश्वास-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से ही किया जा सकता है, न कि डर, दोष या चयनात्मक प्रवर्तन के माध्यम से। वर्तमान प्रणाली को हितधारकों के साथ गहरे जुड़ाव, पायलट-केंद्रित निगरानी और डेटा-समर्थित सुधारों की ओर विकसित होना चाहिए। हम डीजीसीए और एमओसीए से इन सिफारिशों पर विचार करने और उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर एक सुरक्षित, मजबूत हेलीकॉप्टर विमानन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आग्रह करते हैं जो विकसित और सुरक्षित भारत की दृष्टि के अनुरूप है।